Wednesday, May 18, 2016

चुप्पियां ओढ़ ली हैं मैंने

चुप्पियां ओढ़ ली हैं मैंने ,
मैं अब कुछ नहीं कहता  
मतलों  की शक्ल में क्यों
कसते हो फ़िकरे,
कई साल हुए ,
अब मैं शायरी नहीं करता .
जुनूं की हद थी जब नंगे पावं
दौड़ा तेरे पीछे
पानी झील का सा हो गया मैं ,
अब नहीं बहता
मान लिया गोया हमीं हैं
इश्क़ में मुज़रिम
हर सूरत में सजा मेरी है
बस मैं उफ़ नहीं करता
वो दौर गज़ब था ,
लड़ा हर ग़लत पे मैं
हर ठौर ग़लत अब ,
पर मैं नहीं लड़ता .
चुप्पियां ओढ़ ली हैं मैंने ,
मैं अब कुछ नहीं कहता


Friday, February 13, 2015

ज़माने ने खूब प्यार दिया

ज़माने ने खूब प्यार दिया
ज़माने ने खूब प्यार दिया
मरने को मज़बूर किया,
कोई भी न दे सका
वो तड़प जीने की  ,
जो दिया यार ने मुझे ,
भुला के मुझे
जीने को मज़बूर किया ..
अबकी सावन बरसेगी शराब
होगा नशे में जमाना ,
हम होश में है लडख़ड़ायेंगे ,
यार की बेरुखी ने मज़बूर किया.
फैलते जा रहें हम अँधेरे की तरह
रोशनी गुमशुदा
गुमशुदा रोशन बाहें
हाय री किस्मत
किया है तूने बेदिल उनको
अल्बत रकीब ने है उनको मग़रूर किया

Sunday, February 8, 2015

किस्मत हुई कुम्हार.

गढ़ गढ़ गुल्लक मेरी खातिर ,
किस्मत हुई कुम्हार.
मैं मन का चाकर भला ,
क्या जोड़ू दो चार.
चंद ख्वाब खन खन करते ,
पल कुछ पुराने मुड़े तुड़े ,
माँ की कुछ तस्वीरें ,
बाबू जी का एक खत ,
जिसमे माँ ने लिखा था
"मेरे सोना मेरे प्रियतम "
और हाँ एक हँसी भी
सजों रखी है मैंने  ,
खिलखिलाती इन्द्रधनुष सी.
बाकी सब ख़र्च कर देता हूँ
मैं मन का चाकर भला
क्या जोड़ू दो चार ,
गढ़ गढ़ गुल्लक मेरी खातिर
किस्मत हुई कुम्हार  

Tuesday, January 27, 2015

याद तिहारी आये

याद तिहारी आये
दिन री दुपहरी रात अमावस
मनवा ठग संग ठाड़ अड़ा रे
नयन नीर भरा ना जाए
याद तिहारी आये ...............आये
हाये...............याद तिहारी आये
हंसी हिंचकोला , तोरा हंसी ठिठोला
मोसे भूला ना जाये ..हाये
याद तिहारी आये ...आये
याद तिहारी आये .....................
मनवा बैरी आस जगाये
हाये राम .....मोसे भूला ना जाये ...
हाये...............................
याद तिहारी आये .......
ओ री सखी , सजनी नादाँ
काहे मोपे ज़ुलम तू ढाये...हाये
हाये राम  .......................
मोसे प्राण तजा ना जाये ...ना जाये हाये
याद तिहारी आये ............

( In the darkest night of pain of your sweet memories I am alive  ) 

Tuesday, January 13, 2015

मुझे भुलाने का हुनर नहीं आता

एक रिश्ता रोज उगता है हथेली पर मेरे ,
रात टपकाती है जब यादों की ओस बूंद भर .
मुझे भुलाने का हुनर नहीं आता ,
न आता है कोई सकूनदार 
उठाने यादों की डस्टबिन मेरे घर , 
मेरे कमरे की दिवार में 
फ्यूचर की एक खिड़की हैं. 
इसी खिड़की पर मेरे यादों की डस्टबिन 
सजा रखा है मैंने गमले की तरह.
रात उगे इस रिश्ते को रोज सुबह बो देता हूँ
यादों की डस्टबिन में .
एक रिश्ता रोज उगता है हथेली पर मेरे ,
रात टपकाती है जब यादों की ओस बूंद भर .

    

Monday, December 8, 2014

हर दौर मुहब्बत थी जिद्दी

गुथ्थम  गुथ्थी ख़्वाबों से कर ,  हांफ  रहा  दिल  बंजारा 
दिल बच्चा है , दिल जीतेगा,  टूक  ताक  रहा  मैं आवारा
क्यूँ देखू कोई ख़्वाब नया,  ज़िद दिल की  मेरे  क्यूँ  तोडू
ग़र दिल बच्चा, मैं भी बच्चा .क्यूँ मानू मैं, क्यूँ मुँह मोडू
मर मजनूँ और रांझा जीते  ,  मर के जीता महिवाल मेरा    
हर दौर मुहब्बत थी जिद्दी , फिर क्यूँ मैं अपनी जिद छोड़ू  

Friday, October 31, 2014

मेरे खुद में , कम रह गया हूँ मैं खुद ही

मेरे खुद में , कम रह गया हूँ मैं खुद ही
साल दर साल तू बढ़ गया मुझमे ,
खामोश रहता हूँ , खूब हँसता हूँ
हँसते हँसते आँखे छलक पड़ती हैं कभी
पर गिरने नहीं देता उन्हें बाहर ,
एक दो बूँद ही सही
कही तू कम न हो जाये मुझमे
तेरी मासूमियत से भरी कोरी जिदें
और इलज़ाम भी ,
हमेशा रहे सर आँखों पर ,
अब तो यूँ भी कहूँ तो बज़ा न होगा
की उम्र भर हाँ जी उम्र भर