जब अचानक दिखी थी उसकी फोटो फेसबुक पर
बिछड़ने का जख्म कुछ पल को नरम पड़ गया था
नीली स्लीवलेश कुरते में मुस्कराती हुयी बड़े हो चुके बालों के बीच
उसकी हंसी अब भी उतनी ही बेगुनाह थी
अब भी उतनी ही मासूम थी उसकी हंसी
एक दुसरे की ख़ुशी के लिए
हम भीड़ बन गए एक दुसरे के लिए
पहली बार एक झूठ को
सच से भी ज्यादा अहमियत दिया था मैंने
पहले समझाया था खुद को
अब तो ये मानता भी हूँ की
मेरे बिना वो खुश होगी
और मैं खुश हूँ उसके बिना
पहली बार एक झूठ को
सच से भी ज्यादा अहमियत दिया है मैंने
No comments:
Post a Comment