Monday, December 8, 2014

हर दौर मुहब्बत थी जिद्दी

गुथ्थम  गुथ्थी ख़्वाबों से कर ,  हांफ  रहा  दिल  बंजारा 
दिल बच्चा है , दिल जीतेगा,  टूक  ताक  रहा  मैं आवारा
क्यूँ देखू कोई ख़्वाब नया,  ज़िद दिल की  मेरे  क्यूँ  तोडू
ग़र दिल बच्चा, मैं भी बच्चा .क्यूँ मानू मैं, क्यूँ मुँह मोडू
मर मजनूँ और रांझा जीते  ,  मर के जीता महिवाल मेरा    
हर दौर मुहब्बत थी जिद्दी , फिर क्यूँ मैं अपनी जिद छोड़ू