Friday, February 13, 2015

ज़माने ने खूब प्यार दिया

ज़माने ने खूब प्यार दिया
ज़माने ने खूब प्यार दिया
मरने को मज़बूर किया,
कोई भी न दे सका
वो तड़प जीने की  ,
जो दिया यार ने मुझे ,
भुला के मुझे
जीने को मज़बूर किया ..
अबकी सावन बरसेगी शराब
होगा नशे में जमाना ,
हम होश में है लडख़ड़ायेंगे ,
यार की बेरुखी ने मज़बूर किया.
फैलते जा रहें हम अँधेरे की तरह
रोशनी गुमशुदा
गुमशुदा रोशन बाहें
हाय री किस्मत
किया है तूने बेदिल उनको
अल्बत रकीब ने है उनको मग़रूर किया

Sunday, February 8, 2015

किस्मत हुई कुम्हार.

गढ़ गढ़ गुल्लक मेरी खातिर ,
किस्मत हुई कुम्हार.
मैं मन का चाकर भला ,
क्या जोड़ू दो चार.
चंद ख्वाब खन खन करते ,
पल कुछ पुराने मुड़े तुड़े ,
माँ की कुछ तस्वीरें ,
बाबू जी का एक खत ,
जिसमे माँ ने लिखा था
"मेरे सोना मेरे प्रियतम "
और हाँ एक हँसी भी
सजों रखी है मैंने  ,
खिलखिलाती इन्द्रधनुष सी.
बाकी सब ख़र्च कर देता हूँ
मैं मन का चाकर भला
क्या जोड़ू दो चार ,
गढ़ गढ़ गुल्लक मेरी खातिर
किस्मत हुई कुम्हार